कुंडली से जाने कब होगा आपका भाग्योदय

भाग्य का साथ हर कोई पाना चाहता है, कुछ लोग कहते हैं कि कर्म से ही आप अपना भाग्य बना सकते हैं जो एक उचित बात है लेकिन फिर भी कई बार हम देखते हैं की कुछ लोग जितनी मेहनत करते हैं उन्हें उसका उतना लाभ नहीं मिल पाता है या जीवन संघर्षों को करते हुए ही गुजर जाता है. इन चीजों के मूल में भाग्य की अवधारणा बहुत गहरे स्तर पर काम करती है यदि भाग्य मजबूत होगा तो अवश्य ही कम परिश्रम भी हमें अत्यधिक लाभ दिलाने में सक्षम होता है इसलिए ऐसे में भाग्य और अपने जीवन में भाग्य उदय की स्थिति को समझना बेहद जरूरी कार्य बन जाता है जीवन में अगर भाग्य साथ देता है तो दुख और संघर्ष से हमें निजात भी मिल जाती है. आप नाम, जन्म तिथि और समय की सहायता से हमारी साइट से निःशुल्क जन्म कुंडली बना सकते हैं।

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कुंडली का नवम भाव बनता है भाग्य का भाव

जन्म कुंडली में भाग्य के लिए नवम भाव का अनुसरण किया जाता है कुंडली का नवां घर भाग्य की सभी तरह की स्थिति को बताने में सहायक होता है आपका भाग्य कैसा होगा, भाग्योदय कब होगा, भाग्य से आप क्या पा सकते हैं या फिर क्या खो सकते हैं इन सभी बातों और साथ ही कुछ अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी विचार किया जाता हैकुंडली/ Kundali में अगर नवम भाव एक शुभ स्थिति में शुभ ग्रह के प्रभाव में हो किसी भी तरह के पाप प्रभाव से मुक्त हो तो यह बात जीवन में भाग्य के शुभ फलों को प्रदान करने वाली होती है

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कुंडली में भाग्येश कौन होता है - Who is Bhagyesh in horoscope

कुंडली में जहां नवम भाव को भाग्य भाव कहा जाता है वहीं नवम भाव का स्वामी भाग्येश कहलाता है कुंडली में भाग्येश की भूमिका विशेष होती है भाग्येश जातक के भाग्य पर गहरा असर डालता है अगर कुंडली में भाग्येश अच्छी शुभ स्थिति में हो तो भाग्य का भरपूर साथ मिलता है इसके विपरीत यदि भाग्येश पाप प्रभाव में हो या दु:स्थान में बैठा हुआ हो तो भाग्य का सहयोग पाने में कठिनाई और बाधाओं का सामना करना पड़ता है 

आपका भाग्योदय कब और कैसे होगा

ज्योतिष में आपकी हर समस्या का समाधान बहुत आसानी से प्राप्त हो सकता है जब हम भाग्य को समझने की बात करते हैं और अपने भाग्य का साथ पाना चाहते हैं उस के अनुसार कुंडली में मौजूद ग्रह/ Planets in horoscope और उसकी स्थिति को देख कर यह बताया जा सकता है कि भाग्य आपके लिए कैसे और कब सहायक होता है

किसी व्यक्ति की कुंडली में केंद्र और त्रिकोण भावों को एक शुभ भाव के रुप में देखा जाता है इसी में नवम भाव और उसके स्वामी की स्थिति के साथ ही जन्म राशि का अध्ययन करके सटीकता के साथ यह बताना संभव होता है की भाग्य किसी उम्र में आपके लिए सबसे ज्यादा सहायक बन सकता है या फिर कब भाग्य की कमी से परेशान होना पड़ सकता है आपका भाग्योदय कब होगा यह बात कुंडली में मौजूद ग्रह भाव राशि की स्थिति को देखकर स्पष्ट रुप से बताई जा सकती है

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नवम भाव में बैठे ग्रहों से जानिए किस उम्र में होगा भाग्योदय

  • कुंडली के भाग्य भाव में बृहस्पति का होना कम उम्र में ही भाग्य का सहयोग दिलाने में शुभ होता है
  • गुरु 16 वर्ष की आयु में भाग्योदय की स्थिति को देने में सहायक बनता है
  • कुंडली के भाग्य भाव में सूर्य ग्रह का होना 22 वर्ष की अवस्था में भाग्योदय होने का सूचक बनता है
  • कुंडली के भाग्य भाव में अगर चंद्र ग्रह विराजमान है तो 24 वर्ष की आयु में भाग्योदय की स्थिति बनती है 
  • कुंडली के भाग्य भाव में यदि शुक्र ग्रह स्थित हो तो 25 वर्ष की आयु में भाग्योदय की स्थिति बनती है
  • कुंडली के भाग्य भाव  में मंगल ग्रह का होना 28 साल की उम्र में भाग्योदय का संकेत देता है
  • कुंडली के भाग्य भाव में यदि बुध ग्रह स्थित हो तो 32 वर्ष की आयु में भाग्योदय की स्थिति बनती है   
  • कुंडली के भाग्य भाव में यदि शनि ग्रह स्थित है तो 36 वर्ष की आयु में भाग्योदय की स्थिति बनती है 
  • कुंडली में भाग्य भाव में यदि राहु–केतु बैठे हुए हैं तो 42 वर्ष की आयु में भाग्योदय की स्थिति बनती है 

जन्म कुंडली में शुभ और अशुभ ग्रह कैसे देखे

जन्म कुंडली/ Janam Kundli में शुभ और अशुभ ग्रहों को समझने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है इसमें देखना होता है की कुंडली में कौन से भाव शुभ होते हैं और कौन से अशुभ. कुंडली में केंद्र भावों और त्रिकोण भावों को शुभ माना गया है कुंडली के अन्य भाव कम शुभ माने जाते हैं कुंडली का छठा भाव, आठवां भाव या द्वादश भाव अधिक खराब होते हैं इसी प्रकार से इन ग्रहों के स्वामी शुभ और शुभ ग्रह की श्रेणी में आते हैं इसके अलावा ग्रह की खुद की स्थिति कैसी है वह निर्बल है या बली वक्री है अस्त है किस प्रकार का है इन सभी बातों से ग्रहों की शुभता और अशुभता को जाना जा सकता है जिसके अनुसार फल की प्राप्ति होती है

राशि से जानें भाग्योदय कब होगा  

  • मेष राशि के लिए भाग्योदय का समय 16, 20, 28, 34, 41, 48 और 51 वर्ष हो सकता है
  • वृषभ राशि के लिए भाग्योदय का समय 25, 28, 36, 42 वर्ष हो सकता है
  • मिथुन राशि के लिए भाग्योदय का समय  32, 33, 34, और 35 वर्ष हो सकता है
  • कर्क राशि के लिए भाग्योदय का समय  16, 17, 25, 28 और 32 वर्ष के लिए भाग्योदय का समय
  • सिंह राशि के लिए भाग्योदय का समय 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27 और 28 वर्ष हो सकता है
  • कन्या राशि के लिए भाग्योदय का समय 24, 26, 27, 28, 29, 30, 32, 33, 34, 35 और 36 वर्ष हो सकता है
  • तुला राशि के लिए भाग्योदय का समय 24, 25, 31, 32, 34, 37 में हो सकता है
  • वृश्चिक राशि के लिए भाग्योदय का समय  20, 21, 22, 23, और 24 वर्ष में हो सकता है
  • धनु राशि के लिए भाग्योदय का समय 22, 23, 32, 37, 48 और 56 वर्ष में हो सकता है
  • मकर राशि के लिए भाग्योदय का समय 15,16, 22, 32 वर्ष हो सकता है
  • कुम्भ राशि के लिए 24 और 25 वर्ष में भाग्योदय हो सकता है
  • मीन राशि के लिए भाग्योदय का समय  का 21 और 22 वर्ष में हो सकता है

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