वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) के अनुसार सभी सात ग्रह और जिस घर में वो होते हैं, उसी के अनुसार प्रभाव डालते हैं। मंगल भी अपनी स्थिति के आधार पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसके शुभ और अशुभ प्रभाव आपको बहुत ज्यादा परेशान या खुश कर सकते हैं। वैज्ञानिक रूप से मंगल ग्रह सूर्य से चौथा ग्रह है और इसे हिंदी में 'मंगल' के नाम से जाना जाता है।
मंगल उग्र स्वभाव वाला ग्रह है और मंगल को आकाशीय सेना का कमांडर-इन-चीफ माना जाता है। यह एक पुरुष ग्रह है जो व्यक्ति की जीवन शक्ति, प्रतिस्पर्धी आत्मा, शक्ति, वीरता, शारीरिक शक्ति और उत्पादकता जैसे चरित्रों को प्रदर्शित करता है। मंगल रियल एस्टेट क्षेत्र, होटल उद्योग, खेल, सेना, पुलिस और श्रमिक वर्ग से संबंधित कार्य का प्रतिनिधित्व करता है।
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जब कुंडली (Kundali) में मंगल शुभ स्थान में बैठा हो, तो इससे जीवन में इस ग्रह से संबंधित क्षेत्रों और पहलुओं पर अच्छा प्रभाव पड़ता है लेकिन वहीं अगर मंगल अशुभ स्थान में विराजमान हो, तो व्यक्ति को उन्हीं क्षेत्रों में कठिन परिश्रम करना पड़ता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि अलग-अलग राशियों में कमजोर मंगल क्या प्रभाव देता है।
मेष राशि - Aries
मेष लग्न के अनुसार मंगल पहले भाव और अष्टम भाव का स्वामी है। यहां कमजोर मंगल का संबंध लो इम्यूनिटी, स्वास्थ्य समस्याओं और हर क्षेत्र में देरी का कारक बनता है।
वृषभ राशि - Taurus
वृष लग्न के अनुसार मंगल सप्तम भाव (विवाह और व्यवसाय का भाव) और द्वादश भाव (व्यय का भाव) का स्वामी है। इसलिए, यहां कमजोर मंगल जातक के लिए अच्छा है क्योंकि इस मामले में, मंगल 'मध्यम घरों' का स्वामी है, यही कारण है कि इन घरों में मजबूत होने से जातक के लिए अराजकता और समस्याएं पैदा होंगी। हालांकि, कमजोर मंगल जातक के दाम्पत्य या वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
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मिथुन राशि - Gemini
मिथुन लग्न के लिए मंगल छठे भाव और ग्यारहवें भाव का स्वामी है। आय के भाव का स्वामी होने की वजह से कमजोर मंगल व्यक्ति की आय, आर्थिक स्थिति और बचत पर नकारात्मक असर डालता है।
कर्क राशि - Cancer
कर्क लग्न के मामले में, मंगल पंचम भाव (अध्ययन, बुद्धि, लाभ और प्रेम का घर) और दशम भाव (कैरियर या पेशे का घर) पर स्वामी के रूप में शासन करता है, यह व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका कारण यह है कि इसका जातक के प्रेम-जीवन, प्रोफेशनल लाइफ और शैक्षिक जीवन पर प्रत्यक्ष और नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और जीवन के उपर्युक्त पहलुओं में देरी और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
सिंह राशि - Leo
सिंह लग्न के अनुसार मंगल चौथे और नवम भाव का स्वामी है। ये दोनों भाव परिवार, संबंधों, प्रॉपर्टी के मसलों और भाग्य का कारक हैं। मंगल के कमजोर होने पर पारिवारिक संबंधों में खटास आती है और करियर और कनेक्टिविटी पर बहुत बुरा असर पड़ता है। व्यक्ति को जीवन में इन पहलुओं में देरी और कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
कन्या राशि - Virgo
कन्या लग्न के लिए मंगल तीसरे भाव (भाई-बहन, वीरता और यात्रा) और आठवें घर (आयु का घर) का स्वामी होता है। यदि इन भावों में मंगल कमजोर है तो जातक के अपने भाई-बहनों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं और उसे इन रिश्तों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, उनका साहस छूट सकता है और वे आलसी, कमजोर और डरपोक हो सकते हैं। पैतृक संपत्ति के मामले भी जातक के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं।
तुला राशि - Libra
तुला लग्न में मंगल दूसरे यानि समृद्धि और वाणी के भाव का स्वामी है और यह सप्तम यानि विवाह और व्यापार के भाव का भी स्वामी है। यहां पर कमजोर मंगल व्यक्ति के रिश्तों को खराब कर सकता है ओर उसके वैवाहिक जीवन में समस्याएं खड़ी कर सकती है और उसकी आर्थिक स्थिति में भी गिरावट ला सकता है।
वृश्चिक राशि - Scorpio
वृश्चिक लग्न के अनुसार, मंगल प्रथम भाव (व्यक्तित्व और चरित्र का घर) और छठा घर (स्वास्थ्य, ऋण और शत्रु का घर) का स्वामी है। यहां कमजोर मंगल कम प्रतिरक्षा, स्वास्थ्य के मुद्दों का कारण बन सकता है और शत्रु जातक के लिए चिंता का विषय बन सकता है। कुंडली में कमजोर मंगल के कारण भी चीजें और परिणाम देरी से आ सकते हैं।
धनु राशि - Sagittarius
धनु लग्न के अनुसार मंगल पंचम भाव (बुद्धि का घर, अध्ययन, लाभ और प्रेम) और बारहवां घर (व्यय का घर) का स्वामी है। यहां पर कमजोर मंगल शिक्षा, लव लाइफ और खर्चों में रुकावटें पैदा करता है।
मकर राशि - Capricorn
मकर लग्न के अनुसार मंगल चतुर्थ भाव (पारिवारिक संबंधों और संपत्ति के मामलों का घर) और ग्यारहवें घर (आय का घर) का स्वामी है। कुंडली में कमजोर मंगल होने के दुष्परिणाम के रूप में जातक को रिश्तों (परिवार) और आय के स्तर पर देरी, बाधाओं और निराशाओं का सामना करना पड़ सकता है।
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कुंभ राशि - Aquarius
कुंभ लग्न के अनुसार मंगल तीसरे भाव (भाई-बहन, वीरता और यात्रा का घर) और दसवां घर (कैरियर या पेशे का घर) का स्वामी है। यहां पर मंगल के कमजोर होने पर जातक को भाई-बहनों, साहस और करियर के क्षेत्र में देरी, अड़चनें और निराशा हाथ लग सकती है।
मीन राशि - Pisces
मीन लग्न के अनुसार मंगल द्वितीय भाव (धन और वाणी का घर) और नवम भाव (भाग्य का घर) का स्वामी है। जन्म कुण्डली (Janam Kundali) में कमजोर मंगल के कारण करियर में दिक्कतों के साथ-साथ जीवन के हर पहलू और आयामों में देरी के साथ-साथ वित्तीय परिवर्तन भी होता है।